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आष्टा: बगावत के सुर से परेशान… पार्टियों के आलाकमान टिकट वितरण और टिकट न मिलने की नाराजगी….. कोई नई बात नहीं… लेकिन यह नजारा पहले कांग्रेस में ज्यादा नजर आता था… उस के मुकाबले भाजपा अनुशासित नजर आती थी…. लेकिन कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली पार्टी… धीरे धीरे कैसे और कब कांग्रेस युक्त होती गई…. यह राजनैतिक पंडितो से लेकर आमजन तक सबकी नजर के सामने हुआ…. पुरानी कहावत है… संगत की रंगत का असर होता है…. चाल चरित्र और चेहरा दंभ भरने वाली… भाजपा भी इससे बच नहीं पाई… यह भी सच है कि…. कांग्रेस अब भी इससे पूर्णतः मुक्त नहीं हो पाई है.. उम्मीदवारों की सूची आने के बाद… विरोध के साथ साथ ….. बगावती सुर भी राजनैतिक वातावरण में गूंज रहे हैं…। चर्चा है…. प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की आष्टा सीट की…. तो पहले चर्चा भाजपा की ही ….. आष्टा की सुरक्षित सीट से भाजपा ने इस बार …. कांग्रेस के टिकट से तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके और मई २०२२ में भाजपा में शामिल होकर जिला पंचायत अध्यक्ष बने गोपाल सिंह इंजीनियर को अपना उम्मीदवार बनाया है.….. जबकि सिटिंग एम एल ए रूगनाथ सिंह का टिकट काटा गया है…… जबकि टिकिटार्थी की दौड़ में कैलाश बगाना भी शामिल थे….. टिकट नहीं मिलने के बाद टिकट से वंचित रहे दोनों ही नेताओं ने अपने अपने समर्थकों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया है…. बगावती सुरों को ताल देने वालों में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक अजीत सिंह और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ललित नागौरी प्रमुख रूप से शामिल हैं…. नाराजगी का बयां…. निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा तक हो चुका है….। भाजपा इस डेमेज को कैसे और कब तक कंट्रोल करेगी यह उसका नेतृत्व जाने..? लेकिन यही स्थिति स्थाई रह जाने पर…. भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है…। हालांकि एन वक्त… बी फॉर्म बदल जाने की परंपरा भाजपा ने बीस साल पहले भी अपनाई है… इस बार क्या करती है…..? दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी सहित कांग्रेस में शामिल हुए… कमल सिंह चौहान पर अपना भरोसा जताया है… यह भी प्रसपा से पिछले चुनाव लड़कर हार चुके हैं… इनकी उम्मीदवारी का विरोध भी कांग्रेस के अंदर जारी है… भोपाल तक आष्टा के वजनदार कांग्रेसी नेताओं ने अपनी बात उपस्थित होकर या…. मोबाइल के जरिए… पहुंचा दी है….लेकिन अभी किसी कांग्रेसी ने उनके विरोध में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है…. । धुंआ दोनों तरफ दिख रहा है…. जो विरोध की चिंगारी से निकला है… सुलगते हुए यह चिंगारी जब भी … जिस तरफ भी भड़क कर धधकेगी … उस तरफ के उम्मीदवार के सपनो को स्वाहा करेगी….। अभी तक किसी भी पार्टी से इस डेमेज कंट्रोल की मैदानी कोशिश दिखाई नहीं दी है….। इंतजार नामांकन से लेकर नाम वापसी तक का…. तभी स्पष्ट होगा… चुनावी रण में कितने योद्धा बचे….?

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बगावत के सुर से परेशान… पार्टियों के आलाकमान

शैलेश तिवारी

टिकट वितरण और टिकट न मिलने की नाराजगी….. कोई नई बात नहीं… लेकिन यह नजारा पहले कांग्रेस में ज्यादा नजर आता था… उस के मुकाबले भाजपा अनुशासित नजर आती थी…. लेकिन कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली पार्टी… धीरे धीरे कैसे और कब कांग्रेस युक्त होती गई…. यह राजनैतिक पंडितो से लेकर आमजन तक सबकी नजर के सामने हुआ…. पुरानी कहावत है… संगत की रंगत का असर होता है…. चाल चरित्र और चेहरा दंभ भरने वाली… भाजपा भी इससे बच नहीं पाई… यह भी सच है कि…. कांग्रेस अब भी इससे पूर्णतः मुक्त नहीं हो पाई है.. उम्मीदवारों की सूची आने के बाद… विरोध के साथ साथ ….. बगावती सुर भी राजनैतिक वातावरण में गूंज रहे हैं…।
चर्चा है…. प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की आष्टा सीट की…. तो पहले चर्चा भाजपा की ही ….. आष्टा की सुरक्षित सीट से भाजपा ने इस बार …. कांग्रेस के टिकट से तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके और मई २०२२ में भाजपा में शामिल होकर जिला पंचायत अध्यक्ष बने गोपाल सिंह इंजीनियर को अपना उम्मीदवार बनाया है.….. जबकि सिटिंग एम एल ए रूगनाथ सिंह का टिकट काटा गया है…… जबकि टिकिटार्थी की दौड़ में कैलाश बगाना भी शामिल थे….. टिकट नहीं मिलने के बाद टिकट से वंचित रहे दोनों ही नेताओं ने अपने अपने समर्थकों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया है…. बगावती सुरों को ताल देने वालों में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक अजीत सिंह और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ललित नागौरी प्रमुख रूप से शामिल हैं…. नाराजगी का बयां…. निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा तक हो चुका है….। भाजपा इस डेमेज को कैसे और कब तक कंट्रोल करेगी यह उसका नेतृत्व जाने..? लेकिन यही स्थिति स्थाई रह जाने पर…. भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है…। हालांकि एन वक्त… बी फॉर्म बदल जाने की परंपरा भाजपा ने बीस साल पहले भी अपनाई है… इस बार क्या करती है…..?
दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी सहित कांग्रेस में शामिल हुए… कमल सिंह चौहान पर अपना भरोसा जताया है… यह भी प्रसपा से पिछले चुनाव लड़कर हार चुके हैं… इनकी उम्मीदवारी का विरोध भी कांग्रेस के अंदर जारी है… भोपाल तक आष्टा के वजनदार कांग्रेसी नेताओं ने अपनी बात उपस्थित होकर या…. मोबाइल के जरिए… पहुंचा दी है….लेकिन अभी किसी कांग्रेसी ने उनके विरोध में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है…. ।
धुंआ दोनों तरफ दिख रहा है…. जो विरोध की चिंगारी से निकला है… सुलगते हुए यह चिंगारी जब भी … जिस तरफ भी भड़क कर धधकेगी … उस तरफ के उम्मीदवार के सपनो को स्वाहा करेगी….। अभी तक किसी भी पार्टी से इस डेमेज कंट्रोल की मैदानी कोशिश दिखाई नहीं दी है….। इंतजार नामांकन से लेकर नाम वापसी तक का…. तभी स्पष्ट होगा… चुनावी रण में कितने योद्धा बचे….?

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