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सीहोर: मां अंबे की साधना की परंपरागत विरासत को बदस्तूर संभाले हुए है सीहोर मंडी का “गरबा”

धर्म

मां अंबे की साधना की परंपरागत विरासत को बदस्तूर संभाले हुए है सीहोर मंडी का “गरबा”

स्वयं मां अंबे ने स्वप्न मे दर्शन देकर शक्ति आराधना के रूप में गरबा की प्रेरणा दी थी ।

सीहोर।
संपूर्ण भारतवर्ष में नवरात्रि
शक्ति आराधना के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
वर्ष भर में चार नवरात्रि
दो प्रकट नवरात्रि
1, चैत्र नवरात्रि
२, शारदीय नवरात्रि (अश्विन माहा )
और
दो गुप्त नवरात्रि
3,आषाढ नवरात्रि
4, माघ नवरात्रि

मे देवी को विभिन्न रूपों में आह्वान कर विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों द्वारा प्रसन्न करने का क्रम चलता है।
जहां विद्वान पंडित देवी भागवत पुराण से उद्धृत दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
वही सामान्य रूप से भक्त लोग देवी मंदिर में दर्शन, उपवास, और माता के मंदिरों में आरती इत्यादि में शामिल होकर अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हैं।
विशेष कर शारदीय नवरात्रि में देवी की उपासना के लिए माता के समक्ष घट स्थापना कर गरबा करने की प्राचीन परंपरा है।

50 के दशक से अनवरत जारी है मडीं मे
गरबे की परंपरा
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हाल के सालों में पूरे देश में जगह-जगह पंडाल बनाकर गरबे के भव्य आयोजन चल रहे हैं|
सीहोर में भी अनेक स्थानों पर आर्केस्ट्रा के साथ गरबे का आयोजन चल रहे हैं |
परंतु इन सबके बीच में मंडी स्थित सेठ डायाभाई छोटा लाल पटेल के निवास पर पारंपरिक गुजराती गरबा की अपनी विशिष्ट ही पहचान है |
समाज की वरिष्ठ कोकिला प्रमोद पटेल (काकी) ने बताया कि मेरी सास स्व . शांताबेंन डाया भाई पटेल (मोटा काकी ) को देवी मां ने स्वयं स्वप्न में आकर गरबे की प्रेरणा दी थी। वह आज तक लगभग 70 वर्षों से लगातार साकार रूप मे जारी है ।
शुरू के वर्षों में मंडी स्थित श्री राधे श्याम मंदिर में एकत्रित होकर गुजराती समाज की महिलाओं ने गरबा प्रारंभ किया ,गरबे की शुरुआत के साथ ही आस पड़ोस के लोग भी गरबे में उत्साह के साथ भाग लेने लगे। प्रारंभ में 5 वर्षों तक सभी के आस्था का केंद्र स्थानीय राधेश्याम मंदिर मे ही गरबे का आयोजन हुआ।
फिर जैसे-जैसे लोगों का जुड़ाव बढता गया गरबे में भाग लेने वालों की संख्या भी बढ़ गई इसके बाद मंडी क्षेत्र मे ही स्थित पटेल परिवार के मकान पर भव्य स्तर पर गरबा की शुरुआत हुई। यह सिलसिला लगातार करिब 70 वर्षों से चला आ रहा है। हर वर्ष उत्साह एवं पूर्ण भक्ति भाव से गरबे का भव्य आयोजन मंडी में होता है। गुजराती समाज के सभी लोग उसमें शामिल होते हैं।

मंडी के गरबा देखने के लिए विदेश से आते हैं वीडियो कॉल
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विभिन्न व्यवसाय या सर्विसेज की वजह से या सीहोर की कन्या विवाह उपरांत देश के महानगरों में या विदेश में बस जाने के बाद भी नवरात्रि में सीहोर के गरबे को अवश्य याद करते हैं ।
समाज के वरिष्ठ किरीट भाई शाह ने बताया कि उनके पास और समाज के अन्य लोगों के पास सीहोर से बाहर बसे हुए वह लोग जो सीहोर के गरबों से जुड़े हुए हैं फोन आता है और मंडी में स्थित माता मंदिर की आरती एवं गरबे लाइव देखने की मांग करते हैं । तथा अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
तथा अपने पुराने दिनों की याद ताजा करते हैं।

आज भी पूर्ण भक्ति भाव और शालीनता से मां अंबे की आराधना में आयोजित गरबा महोत्सव अपनी पूरी गरिमा ऐवं भव्यता के साथ अनवरत जारी है।

कुम-कुम ना पगला पडया माडी़ ना हेत ढ़डया ।
जोवा लोग टोडे वडया रे……
माडी़ तारा आववाना ऐंघाडां पडया…

अर्थातः
कुमकुम रचे पैरों की निशानी पढ़ने लगी है,
हे मां आपका प्रेम बरसने लगा है ।
देखने के लिए लोग उमटने लगे हैं,
हे मां तेरे आने के संकेत होने लगे हैं।

गरबे की इस धुन पर उपस्थित कन्याएं एवं महिलाएं गरबा करते हुये ऐसा महसूस करती है कि, स्वयं मां अंबे किसी रूप में उनके साथ गरबा कर रही है ।

मां अंबे की आराधना के पावन पर्व नवरात्रि की शुभकामनाएं…

— जयंत शाह
(संपादक- एमपी मीडिया पॉइंट)

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