आस्थाधर्म

वर्ष में एक बार साक्षात सूर्यदेव करते हैं तीर्थंकर महावीर के भाल पर तिलक। -जयंत शाह

धर्म/आस्था/आध्यात्म

 अति सुंदर – अद्भुत

वर्ष में एक बार साक्षात सूर्यदेव करते हैं तीर्थंकर महावीर के भाल पर तिलक।

शिल्प, गणित , ज्योतिष कला , कल्पनाशीलता, श्रद्धा , विश्वास का अनूठा समन्वय

जयंत शाह

कोबा तीर्थ (गुजरात)

सरदार वल्लभभाई पटेल एयरपोर्ट से 15 मिनट की दूरी एवं गुजरात के ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद से 18 किलोमीटर की दूरी पर अहमदाबाद गांधीनगर हाईवे पर ”महावीर जैन आराधना केंद्र”
कोबा तीर्थ
यहां सूर्यदेव के प्रत्यक्ष चमत्कार जैसी घटना प्रतिवर्ष 22 मई को देखने को मिलती है | जो इस वर्ष भी दर्शनार्थ मिली। कुछ श्रद्धालु चमत्कारिक मानते है तो कुछ तपस्या से जोड़कर शीश नमन करते हैं। लेकिन यह अद्भुत नजारा प्रतिवर्ष देखने को मिलता है।

बतादें कि कोबा तीर्थ परिसर के अंदर स्थित जिनमंदिर में प्रतिष्ठित चरम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के भाल पर प्रतिवर्ष 22 मई दोपहर 2:07 के निश्चित समय पर सूर्य देव अपनी उज्जवल रश्मि से तिलक करते हैं।यह सिलसिला 1987 से अनवरत जारी है।

आचार्य अरुणोदयसागर जीमा.सा. के अनुसार शिल्पशास्त्र, गणित शास्त्र, और ज्योतिष शास्त्र के समन्वय द्वारा निर्मित यह मंदिर होने के कारण ही इस प्रकार का अद्भुत नजारा प्रतिवर्ष निश्चित तारीख और निश्चित समय पर देखने को मिलता है।
राष्ट्र संत जैन आचार्य श्री पद्मा सागर महाराज साहब की प्रेरणा से गणितज्ञ आनंद सागर जी मा.सा. और अजय सागर जी मा.सा.ने शिल्प – गणित और ज्योतिष शास्त्र के समन्वय से इस मंदिर का निर्माण करवाया है।
देवलोक वासी आचार्य श्री कैलाश सुरिश्वर जी का अंतिम संस्कार 22 मई दोपहर 2.o7 के समय किया गया था।
प्रतिवर्ष दोपहर 2.07 मिनिट पर यहां विराजित भगवान श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा के भाल पर सूर्य तिलक होता है।
गुजरात के ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित “श्री महावीर जैन आराधना केंद्र” की स्थापना सन् 1980 में हुई थी। 17000 स्क्वायर मीटर मे निर्मित परिसर के अंदर श्री महावीर स्वामी भगवान का भव्य मंदिर , गुरु मंदिर, ज्ञान मंदिर ,कला मंदिर ,उपाश्रय, एवं म्यूजियम स्थापित है।
दर्शनार्थियों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है।

वर्तमान वर्ष 2023
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प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी 22 मई 2023 के दिन दर्शनार्थियों का मेला लग चुका था।
आकाश में बादल छाए हुए थे। भगवान सूर्य देव के दर्शन नहीं हो रहे थे।
परंतु वहां उपस्थित दर्शनार्थियों को पूरा विश्वास था सूर्यदेव बादलों को चीरते हुए आएंगे एवं भगवान के भाल पर अपनी किरणों से तिलक करेंग।
वही हुआ जैसे ही घड़ी का कांटा 2.07 मिनट पर आया अद्भुत नजारा देखकर श्रद्धालुओं का मन प्रसन्न हो गया पूरा मंदिर परिसर करतल ध्वनि से गूंज उठा मानो भूवन भास्कर सूर्य देव स्वयं भगवान महावीर स्वामी के श्रीभाल पर आकर तिलक के रूप में विराजित हो गए हो।
अद्भुत है मानव की कल्पनाशीलता , अथक परिश्रम , गुरुजनों की कृपा एवं शास्त्रों के मार्गदर्शन से उसको साकार रूप में परिवर्तित होते हुए देखना।
ऐसा सुंदर दृश्य अपनी आंखों से जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए प्रतीक्षा रहेगी अगले वर्ष पडने वाली 22 मई दोपहर 2:07 के समय की।

– जयंत शाह
संपादक ,(एमपी मीडिया पॉइंट)

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