
जयंत शाह,सीहोर
30 अगस्त 2021
जगत गुरु,मोक्ष मार्ग के प्रणेता, महाभारत के महानायक , चितचोर ,रणछोड़, माखनचोर, कान्हा ,महान योद्धा , भगवान श्री कृष्ण का जन्माष्टमी पर्व संपूर्ण भारत वर्ष में पूर्ण श्रद्धा के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।
श्रीकृष्ण प्राकट्यमहोत्व
सभी समाचार चैनल भी रात्रि 11:00 बजे से श्री कृष्ण जन्मस्थली मथुरा एवं भगवान कृष्ण की राजधानी श्री द्वारिकाधीश मंदिर गुजरात से सीधा प्रसारण बताएंगे
श्री कृष्ण जन्मस्थली मथुरा ( उत्तर प्रदेश) :
मथुरा उत्तर प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर जन्माष्टमी पर्व को भव्य रूप से मनाया जाएगा।
इस अवसर पर कृष्ण जन्म स्थली मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है। प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी भागवत भवन मे महोत्सव विधि विधान के साथ मनाया जाएगा। पुष्प बंगले में भगवान को रजत कमल पर विराजित किया जाएगा एवं चांदी की बनाई गई कामधेनु गाय की दिव्य प्रतिमा से गिरधर गोपाल का अभिषेक किया जाएगा।
श्री कृष्ण की राजधानी द्वारिका नगरी (गुजरात):
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 5000 वर्ष पहले गुजरात के समुद्र तट पर बसी हुई है भगवान श्री कृष्ण की राजधानी द्वारिका नगरी।
यहां पर भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
विशाल मंदिर एवं संपूर्ण मंदिर परिसर रंगीन रोशनी से जगमगा उठेगा।
एवं रात्रि 12:00 बजे भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
कुदर कोट( उ. प्र.)
(श्री कृष्ण की ससुराल )
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश के औरैया का कुदरकोट कस्बा द्वापर युग में कुंदनपुर के रूप में जाना जाता था जो देवी रुक्मणी के पिता भीष्मक की राजधानी हुआ करती थी।
यहां एक ऊंचे टीले पर बना हुआ अलोपा देवी का मंदिर है।
इसी मंदिर में देवी रुक्मणी अपनी माता के साथ प्रतिदिन पूजा करनी आती थी.
पिता ने रुक्मणी का विवाह श्री कृष्ण से करने की सहमति दे दी थी परंतु देवी रुक्मणी के भाई रुकमिन को यह मंजूर नहीं था। उसने देवी रुक्मणी का विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित कर दिया ।तब रुकमणी जी ने श्रीकृष्ण को पत्र लिखा एवं श्री कृष्ण ने इसी मंदिर से जब रुकमणी जी गौरा पूजन के लिए आई तो हरण कर लिया।
तभी से देवी गौरी वहां से आलोप हो गई। इसलिए इस मंदिर को अलोपा देवी का मंदिर भी कहा जाता है।
यहां पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है।
सीहोर नगर मे मेरे शहर सीहोर नगर में जन्माष्टमी के दिन यादव समाज द्वारा भव्य एवं आकर्षक चल समारोह निकाला जाता है।
चल समारोह ग्वालटोली स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ कस्बा स्थित सीवन नदी तट पहुंचता है एवं प्रसादी वितरण के साथ समापन होता है चल समारोह का नगर के विभिन्न संगठनों द्वारा पुष्प वर्षा से स्वागत किया जाता है यादव समाज के बुजुर्ग एवं गणमान्य नागरिकों का और अखाड़ों के उस्तादों का साफा पहनाकर स्वागत किया जाने की परंपरा है । परंतु इस वर्ष वैश्विक महामारी करोना की गाइडलाइन के चलते चल समारोह को संक्षिप्त रूप में ग्वालटोली में ही निकाला जाएगा एवं रात्रि में श्री कृष्ण प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा।
राधा कृष्ण मंदिर ग्वालटोली के अलावा भी शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी ।
जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण कंस के कारागार को तोड़ते बाहर निकले। उन्होंने हमें यही संदेश दिया कि हमें भी अपने अंदर छुपे हुए दंभ मोह लालसा ईर्ष्या जैसे शत्रुओं को परास्त करके बंधन मुक्त होना है |
भगवान श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से हमें जो संदेश दिया वह आज के समय में बहुत ही उपयोगी है ।कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
अर्थात वैश्विक महामारी कोरोना काल में जिस प्रकार डॉक्टर, पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ताओं, के साथ जागरूक नागरिकों ने जिस प्रकार सेवा एवं कर्तव्य समझकर अपने दायित्व का निर्वहन किया। आगे भी जागरूकता पूर्वक कर्म करते चले जाना है और इस वैश्विक महामारी दैत्य का पर विजय प्राप्त करनी है।
आप सभी को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएं एवं बधाई।
फिर मिलते हैं
डोल ग्यारस पर ।
जयंत शाह, सीहोर